Tuesday 24 January 2017

*************सिलसिला बदलती दुनिया का **************


मेरी नजर में उस आदमी का क्या वजूद
जो अपने शब्दों को न बांध सका
कहता है कुछ और कर जाता है कुछ
तो कैसे मान लिया जाये उस का यकीं !!
मेरा नजरिया शायद गलत हो
बस मेरी ही नजर में
पर चाहता हूँ कि आप भी
कुछ कह सके इस पर, उनकी खबर लें !!
सिलसिला चल निकला फिर से चुनाव का
दिल्ली कि गद्दी पर बैठने के लिए
केजरीवाल का साथ छोड़ छोड़ के
सब निकल पड़े, अपने स्वाभिमान के साथ !!
दल बदलू न कहें, तो और क्या कहें
कल तक था साथ मर मिटने का
आज उस में खोट निकल गयी
और हो गया बटवारा उस कि टीम का !!
कंधे से कन्धा मिला के चलने कि बात थी
बीच में आ गयी भा ज पा से मिलने कि बात थी
दूरियन इतनी हो गयी थी मर मिटने कि बात थी
आज मोदी के पहलू में निकली वो छुपने कि बात थी !!
धर्म परिवर्तन का चल रहा सिल्सिल्ला
साधू कहता क्यूं ने पांच बच्चे पैदा कर रहा
न जाने यह योगी हैं या संसार के भोगी ??
जो सारे संसार का नक्शा है बदल रहा !!
इंसानियत को भूलता जा रहा है संसार
इसी लिए बढ़ता जा रहा यहाँ अत्याचार
सब कि अपनी ढपली और बज रहा है तान
कोई कुछ सुनने को नहीं हो रहा तैयार !!
कवि अजीत कुमार तलवार

अड़चन

!! अड़चन !!
लोगों को राह में रोडा अटकाने
में ही बहुत मजा आता है
और मुझ को उन अड़चन को 
राह से हटाने में मजा आता है !!
लोगों को दूसरे की खुशी में
जल्ने में मजा आता है
और मुझे उन की खुशी
में मिट जाने में मजा आता है !!
लोगों को दिल के अंदर मैल
रख कर बात करने में मजा आता है
और मुझे उस मैल को हटा कर
प्रेम की लौ जलाने में मजा आता है !!
आप सभी को समर्पित!!!!!
अजीत तलवार

वकत वकत की बात

वकत वक्त की बात है दोस्तों
लोगों ने तो भगवान को भी नहीं
छोड़ा. तो ये दल बद्लू और
बड़ी बड़ी बातें करने वाले नेता क्या चीज हैं ?????
जिधर भी देखा अपना स्वार्थ
तूरन्त पाला बदल देते हैं
जिस थाली में बैठ खाया करते थे
उसी में छेद कर निकल लेते हैं......!!!!!
अपना ऊल्लू सीधा करने को
गीरी से गीरी जगह पर थूक चाट लेते हैं
वादो की ऐसी बौछार करते हैं
जैसे पल में सब के दुख हर लेते हैं.....!!!!
एक बार जो मिल गयी सत्ता
फ़िर पतली गली से निकल लेते हैं
मिल्ने कोई जाये अपनी शिकायत लेकर
देखा है हर बार, ये अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.....!!!!
अजीत तलवार

मेहनत करो और खुश रहो

मेहनत कर, और ले जिन्दगी का आनन्द
किसी की चीज पर नाज करने में क्या मजा है ??
दो हाथ तुझे भी दिए हैं, काम करने के लिए
उधार मांग मांग कर खाने में क्या मजा है ??
जिन्दगी एक थिएटर की तरह हैं ,जहाँ तून अभिनेता है
अब उस में से तून क्या लेता और किसी को क्या देता है ??
हाथ फैलाना इतना आसान है, कमाना कितना दुशवार
हर बाप अपनी बेटी को तो देता ही है, फिर क्यों बनता लाचार ??
अपनी मेहनत से भर लेगा ,घर के तून भण्डार
मांग कर लेगा तो प्यारे , वो चलेगा बस दिन दो चार ??
बेटी उसे ने दे दी, चीर कर सीना अपना, ध्यान रखना
कल तुझे अगर हो गयी बेटियन, न करे कहीं भगवान् ??
दूरदर्शी बनो , न करो गुमान, आज के इन दिनों का मेरे दोस्तों
जो आज दौलत तुम्हारी है, कल यह बनेगा सामान किसी और का ??
अजीत कुमार तलवार
मेरठ

एक सोच

****************एक सोच*****************
जिन्दा था जब में तो किसी ने पास अपने कभी बिठाया नहीं
अब खुद मेरे चारों तरफ बैठे जा रहे हैं
पहले किसी ने भी मेरा हाल कभी पूछा नहीं
अब देखो, सभी आंसू बहाए जा रहे हैं !!
एक रूमाल भी भेंट किया नहीं कभी जब जिन्दा थे
अब शाल और कपडे ऊपर से ओढ़ाये जा रहे हैं
सब को पता है यह शाल और कपडे नहीं हैं इस के काम के
फिर भी बेचारे दुनियादारी निभाये ही जा रहे हैं !!
कभी किसी ने एक वक्त का खाना भी नहीं खिलाया
अब मुंह में देसी घी मेरे डाले ही जा रहे हैं
जिन्दगी में एक कदम भी साथ न चल सका कोई
अब फूलों से सजाकर कंधे पर उठाये जा रहे हैं !!
अब जाकर पता चला है कि मौत जिन्दगी से बेहतर है
"अजीत' तुम बेवजह ही जिन्दगी कि चाहत किये जा रहे थे..!!
कवि अजीत कुमार तलवार

Saturday 9 May 2015


Kitna bhi na kyoon ho jaana door mujh se
Tumhara dil kabhi bhi tumhara Gawah na ban payega
Wo Pal Pal chahta to hai bechara Mujhko
Ik din Sare Raah Dhokha tum ko Wo de Jayega !!
ajeet

Rukhsat hone se pehle yaad kar loonga
mein apni yaadon ke saath hi wida hoonga
tum yaad na karna kabhi bhi mujhko
kyoon ki dard ka wo pitara tumhare saath hoga !!
ajeet